कोरोनावारयस के संक्रमण से बचा सकता है योग, ये योगासन बना सकते हैं निरोगी!

कोरोनावायरस को खत्म करने का बिल्कुल सटीक इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया है, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि कोरोना से डरने की बजाय अपना प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) सुधार कर इसके साथ-साथ किसी भी बीमारी को अपने पास आने से रोका जा सकता है।


इम्यून सिस्टम सुधारने में योग बहुत लाभदायक हो सकता है। विशेषज्ञों का दावा है कि रोजाना मात्र 30 से 40 मिनट योग करके और सात्विक आहार ग्रहण कर किसी भी संक्रामक रोग के खिलाफ आवश्यक प्रतिरोधी क्षमता पैदा की जा सकती है।

मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. एस. लक्ष्मी कांधन के मुताबिक योग से किसी भी व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र को बहुत मजबूत बनाया जा सकता है। इससे शरीर में किसी भी रोग से लड़ने की क्षमता पैदा हो जाती है और कोई भी संक्रामक रोग हमें आसानी से अपना शिकार नहीं बना पाता।

इसके लिए योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। योग का शरीर पर उचित असर हो, इसके लिए व्यक्ति को सात्विक भोजन भी करना चाहिए। मांसाहार या गरिष्ठ भोजन पचने में मुश्किल होता है और अन्य विकार पैदा करने का कारण बन सकता है, इसलिए इससे बचने की कोशिश की जानी चाहिए।


 


ये उपाय होंगे कारगर


किसी भी योगिक क्रिया का उचित लाभ उठाने के लिए सबसे पहले जलनेति क्रिया करके अपनी नासिका को साफ करना चाहिए, जिससे श्वसन तंत्र बेहतर ढंग से काम कर सके।

योग के दौरान भी श्वास तेज चलने लगती है, इसलिए नासिका का साफ होना आवश्यक है। इसके लिए जलनेति यंत्र से हल्का सहनीय गर्म जल एक नासिका के डालकर दूसरी नासिका से निकाला जाता है। लेकिन ध्यान रखें कि किसी प्रशिक्षित योग गुरु से सीखने के बाद ही इसे करें।

जलनेति के बाद सूक्ष्म व्यायाम से योगिक क्रियाओं की शुरुआत की जानी चाहिए। इससे शरीर में गर्मी बढ़ती है और शरीर भारी योगिक क्रियाओं के लिए तैयार होता है। इसके लिए गर्दन, कलाई, रीढ़, घुटने और एड़ी से जुड़ी हल्की शारीरिक योगिक क्रियाएं की जा सकती हैं।

हल्की दौड़, अपनी जगह पर खड़े होकर उछलना या हल्की तेज गति से टहलना भी लाभदायक हो सकता है। इसके बाद व्यक्ति को आसनों का उपयोग करना चाहिए। ताड़ासन, कटिचक्रासन, त्रिकोणासन, उष्ट्रासन, शशांकासन, जनभुजंगासन, शव आसन और मकरासन काफी उपयोगी हैं। थोड़े से प्रयास से इन्हें किया जा सकता है।

इसके बाद व्यक्ति को प्राणायाम में नाड़ी शोधन और भ्रामरी करना चाहिए जो प्रतिरोधी तंत्र के विकास में बेहद उपयोगी होता है।


ध्यान की भी बेहद अहम भूमिका


आसनों के बाद ध्यान की भी बेहद अहम भूमिका होती है। जितने समय हो सके, व्यक्ति को ध्यान अवश्य लगाना चाहिए। इसके लिए 20 मिनट के समय से शुरुआत की जा सकती है। यह पूरी प्रक्रिया लगभग 30 से 40 मिनट में संपन्न की जा सकती है।

इसके बाद समय की उपलब्धता और रुचि के अनुसार इसे जितना चाहें, बढ़ाया जा सकता है। शारीरिक क्रियाओं को एक सीमा से अधिक नहीं बढ़ाना चाहिए।

इस संदर्भ में आवश्यक सलाह यह है कि योग की शुरुआत किसी प्रशिक्षित योग गुरु की निगरानी में ही की जानी चाहिए। बीमार, श्वसन और हृदयरोग से परेशान किसी व्यक्ति को किसी यौगिक क्रिया से नुकसान भी हो सकता है, इसलिए कुछ क्रियाएं बिना गुरु की निगरानी में नहीं की जानी चाहिए।

जिन्हें रीढ़ से संबंधित गंभीर समस्या हो, उन्हें योग क्रियाओं से बचना चाहिए।